इंसानियत का संदेश देगी फिल्म मुजफ्फरनगर-2013—अनिल बेदाग—

जब किसी राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है, तो मानवीय भावनाएं आहत होती हैं। निर्दोष लोग ऐसे विनाशक माहौल की चपेट में आते हैं और एक समुदाय विशेष को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। अफवाहों के जरिए माहौल को हिंसक बनाने की कोशिशें की जाने लगती हैं ताकि देश में अस्थिरता फैले। ऐसे घटनाएं देश में कई जगह पर हुई हैं, जहां निर्दोष या बेकसूर लोगों को धर्म के नाम पर निशाना बनाया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। मुजफ्फरनगर का दंगा भी उनमें से एक है, जिसको आधार बनाकर लेखक, गीतकार और निर्माता मनोज कुमार मांडी ने दर्शकों के लिए एक संदेशपरक फिल्म तैयार की है जिसका नाम है मुजफ्फरनगर-2013। यह फिल्म लोगों को मैसेज देती है कि नफरत की आग में घर जलाने की बजाय दूसरों को प्यार बांटकर उनका दिल जीतने की सोचो। निर्माता मनोज कुमार मुजफ्फरनगर के ही हैं इसलिए उन्होंने इस शहर में फैले हिंसक हादसे को करीब से देखा और महसूस किया।

निर्माता मनोज कुमार को सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार मिल चुका है। चूंकि उनका एमबीटी टैक्नोलॉजी का बिजनेस है और अपने यहां पाले जा रहे 150 सांडों यानी बुल्स के जरिए गौधन के विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके दो सांडों को अवार्ड भी मिल चुका है। इसी सिलसिले में मनोज देशभर का दौरा करते रहे हैं और इस दौरान उन्होंने हिंदू-मुस्लिमों के बीच वैमनस्य या तनाव से जुड़े किस्सों-चर्चाओं को सुना और तय किया कि उन्हें ऐसी फिल्म का निर्माण करना है, जो लोगों में प्रेम का संदेष दे। निर्माता कहते हैं कि दंगों में ऐसे लोगों को भी निशाना बनाया गया, जो किसी को मारने की बजाय उनकी रक्षा कर रहे थे, पर वे लोग भी आरोपों के घेरे में आ गए। मोरना एंटरटेन्मेंट के बैनर तले बनी फिल्म मुजफ्फरनगर-2013 कंपलीट है और निर्माता को उम्मीद है कि उनकी यह फिल्म सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देगी। फिल्म में देव शर्मा, ऐष्वर्या देवेन, अनिल जॉर्ज और मुस्लिन कुरैशी की अहम भूमिका है। फिल्म का निर्देशन किया है हरीष कुमार ने। निर्माता कहते हैं समाज में इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और हमारी फिल्म का भी यही संदेश है।

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