मर्दाना कमज़ोरी की दवा तलाशते भंवरे -अनिल बेदाग-

सेक्स का शरीर से खूबसूरत रिश्ता है। सेक्स ही वंश को आगे बढ़ाता है और इसी सेक्स के जरिए इंसान अपनी मर्दानगी को भी दर्शाता है लेकिन यही सेक्स कुछ लोगों की ज़िंदगी में अभिशाप बनकर सामने आता है और फिर तलाश शुरू होती है किसी रामबाण औषधि या जड़ी-बूटी की, जो सेक्स के मामले में इंसान को ताकतवर बना दे। इस समाज में नामर्दगी से जूझ रहे ऐसे कई लोग या भंवरे हैं जो किसी ऐसी दवा की तलाश में हैं जिसे खाकर वे मर्द बन जाएं और अपने रोमानी या वैवाहिक रिश्ते को खूबसूरत आकार दें। शाही दवाखानों के नाम से चल रही ऐसी कई दुकानें हैं, जो सेक्स से संबंधित समस्याओं को दूर करने का दावा करती हैं और लोगों का एक खास वर्ग ऐसे नीम-हकीमों के पास जाकर अपनी खोई हुई ताकत हासिल करना चाहता है। इसी विषय पर बनी है सुधा क्रिएशन्स की डार्क कॉमेडी फिल्म भंवरे, जो तीन दोस्तों की कहानी है।

 

लेखक, अभिनेता, निर्माता और निर्देशक शौर्य सिंह की यह फिल्म दर्शकों को यही मैसेज देना चाहती है कि अपनी शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए गलत तरीका न अपनाएं। ऐसे दुकानों पर जाने से बचें जो चिकित्सा की दृष्टि से अप्रूव्ड नहीं हैं और इंसान की सेहत से खिलवाड़ करती हैं। शौर्य सिंह कहते हैं कि यह देश की पहली ऐसी फिल्म है, जो मर्दाना कमज़ोरी को दूर करने का दावा करने वाले नीम-हकीमों पर निशाना साधती है। फिल्म में शौर्य सिंह के अपोजिट प्रियंका शुक्ला हैं। मनोज बख्शी खलनायकी के तेवर दिखाते नज़र आएंगे। फिल्म में करण ठाकुर और जशन सिंह भी अहम किरदार में हैं। संगीत सौरभ चटर्जी और गौरव रत्नाकर का है।