 
		
		 
		
		 
				 
			मायानगरी केवल अभिनेताओं की नहीं अपितु रुपहले पर्दे के पीछे की भी दुनिया है जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन पर्दे के पीछे के इन्हीं लोगों की बदौलत रुपहला पर्दा चमकता है। इस पर्दे के पीछे निर्देशक, निर्माता, मेकअप आर्टिस्ट, जूनियर आर्टिस्ट, डांसर, लाइट मैन, टेक्नीशियन, स्पॉटबॉय, मजदूर और ना जाने कितने लोग शामिल रहते हैं। इन पर्दे के पीछे के नगीनों का चयन कर दादासाहब फाल्के फाउंडेशन अवार्ड उनकी योग्यता को परख कर सम्मानित करता है। ऐसे ही हीरों को हौसला दिलाने वाले नवीन राह दिलाने वाले हैं अशफाक कोपेकर।
अशफाक कोपेकर दादासाहब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। वर्तमान में वह स्क्रीन राइटर ऑफ इंडिया असोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। साथ ही इंडियन फ़िल्म डायरेक्टर असोसिएशन के साथ भी जुड़े है। इसके अलावा अशफाक कोपेकर विभिन्न असोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं। जहाँ वे फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोगों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भी सहायता करते हैं और उन्हें उचित प्लेटफार्म भी मुहैया कराते हैं।
उनका मुख्य कार्य लेखन और निर्देशन है। इतने वर्षों से फ़िल्म उद्योग से जुड़ कर वह अनोकोनेक कार्य करते जा रहे हैं।
फ़िल्म उद्योग से जुड़ी कुछ बातों को लेकर अशफाक कोपेकर से हुई बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश…
प्रश्न – आप कब से फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं?
उत्तर – उन्नीस सौ तिरानवे से मैं फ़िल्म उद्योग से जुड़ा हुआ हूँ। जिसमें फ़िल्म उद्योग के रुपहले पर्दे और उसके पीछे जुड़े विभिन्न कामों को करता आ रहा हूँ। जैसे फिल्मों का निर्देशन, लेखन आदि कार्य।
प्रश्न – आपकी पहली शुरुआत कैसी रही और आपने क्या कार्य किया?
उत्तर – मुख्यतः मेरा मूल कार्य लेखन और निर्देशन है। मेरी पहली धरावाहिक ‘आजादी की ओर’ है और धीरे धीरे अपने कार्यों से आगे का पड़ाव चढ़ता गया।
प्रश्न – आप विभिन्न असोसिएशन से जुड़े हुए हैं इस बारे में व्याख्या करेंगे?
उत्तर – वर्तमान में स्क्रीन राइटर ऑफ इंडिया असोसिएशन का अध्यक्ष पद पर हूँ साथ ही दादा साहब फाल्के फ़िल्म असोसिएशन का अध्यक्ष हूँ। इंडियन डायरेक्टर असोसिएशन जैसे कई असोसिएशन के साथ जुड़ा हूँ और साथ मिलकर कार्य भी कर रहा हूँ।
प्रश्न – विगत कुछ वर्षों से दादासाहब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन के आयोजन ना हो पाने का क्या कारण है?
उत्तर – दादा साहब फ़िल्म फाउंडेशन अवार्ड का आयोजन ना हो पाने का मुख्य कारण कोरोना प्रोटोकॉल है। विगत दो वर्ष से कोरोना महामारी के कारण सरकार के आदेशनुसार भीड़ इकट्ठी करने की मनाही थी। जबकि हमारे अवार्ड शो में बत्तीस से भी ज्यादा असोसिएशन का साथ होता है और एक असोसिएशन से बीस से पच्चीस लोग शामिल होते हैं। बिना असोसिएशन के सदस्यों के अवार्ड नहीं कर सकते साथ ही फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी लोग रहते हैं ऐसे में भीड़ बढ़ जाती है। लगभग हजारों लोगों को इकट्ठा करने का सरकार द्वारा आदेश प्राप्त नहीं है जिस कारण यह कार्यक्रम करने में कठिनाई हुई। हमारे ही नहीं इस कोरोना प्रोटोकॉल के कारण कई असोसिएशन के कार्य में बाधा आयी है। वैसे इस बार हमारी असोसिएशन का प्रयास है कि सरकार से आदेश प्राप्त कर अवार्ड का आयोजन किया जाए।
प्रश्न – आप दादासाहब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन के लिए योग्य उम्मीदवार का चयन कैसे करते हैं?
उत्तर – इस अवॉर्ड में केवल हमारे असोसिएशन का ही कार्य नहीं होता बल्कि लगभग बत्तीस से ज्यादा असोसिएशन हमारे साथ जुड़े हुए हैं। वे ही हर क्षेत्र से चुनाव कर योग्य अवार्डी का नाम रिकमेंड करते हैं। साथ ही हमारे ज्यूरी मेम्बर भी होते हैं जो चयन प्रक्रिया में साथ निभाते हैं। यह चयन पूर्णतः निष्पक्ष और बहुमत के आधार पर होता है। इसमें योग्यता के आधार पर चुनाव कर निर्णय लिया जाता है। इसमें किसी पदाधिकारी का हस्तक्षेप नहीं रहता।
प्रश्न – यह अवॉर्ड किन क्षेत्र विशेष को दिया जाता है?
उत्तर – इस अवार्ड में सिल्वर स्क्रीन में दिखाई देने वाले लोगों से पहले जो फिल्मी पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं उन लोगों का चयन कर अवार्ड से सम्मानित किया जाता है। साथ ही उन्हें ग्यारह हजार की राशि और अन्य सहायता भी प्रदान की जाती है। फ़िल्म निर्माण से जुड़े मेकअप मैन, डांसर, जूनियर आर्टिस्ट, टेक्नीशियन आदि इस अवार्ड में शामिल होते हैं।
प्रश्न – दादासाहब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन अवार्ड की शुरुआत कैसे हुई अभी वर्तमान में दादा साहब के नाम से कई अवार्ड हो रहे हैं। आप इस बारे में कुछ मार्गदर्शन देना चाहेंगे?
उत्तर – दादासाहब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन अवार्ड हम बहुत पहले से करते आ रहे हैं। पहले इसका नाम दादा साहब फाल्के एकेडेमिक अवार्ड था बाद में इसका नाम परिवर्तित किया गया है। यह अवार्ड हमने दादासाहब के जन्मदिन के अवसर पर उनकी स्मृति और सम्मान में शुरू किया है। दादासाहब के नाम के इस अवार्ड को शाहरुख खान अपने ऑफिस में सामने रखते हैं, जबकि उनके पास अवार्ड्स की कोई कमी नहीं है। हाँ, वर्तमान में इस नाम से कई अवार्ड शो चलाये जा रहे हैं लेकिन मुझे उनसे कोई गिला नहीं क्योंकि वे अपनी आजीविका या प्रसिद्धि हेतु यह कर रहे हैं। किंतु जो वास्तविक है वह वास्तविक रहेगा कोई उसका मुखौटा लगाकर पूर्ण जीत प्राप्त नहीं कर सकता। वास्तविकता वो भी जानते हैं और अंजाम भी, अतः अपना कार्य पूर्ण यत्न से करते रहो।
प्रश्न – आप स्टार मेकर्स के लिए भी कार्य कर रहे हैं इस विषय की ओर आपका ध्यान कैसे गया?
उत्तर – हमारा असोसिएशन स्टार मेकर्स द्वारा चयनित योग्य और अच्छे गायकों को गाइड करता है और उचित प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है। हमारे देश में योग्यताओं की कमी नहीं है। अभिनय और गायन क्षेत्रों में तो प्रतिभाओं का कोई सानी ही नहीं है। लॉकडाउन के दौरान हमने सोचा कि देश की इन प्रतिभाओं को मौका दिया जाए। जो भी स्टारमेकर्स के गायक हम तक पहुंचते हैं, हम उनकी सहायता करते है। खंडवा की तरुणा शुक्ला जो आल इंडिया रेडियो में गाती थी, उसे उसी के होमटाउन में गायन के क्षेत्र में प्लेटफॉर्म मुहैया कराया गया। उससे ‘लोरी’ गीत गवाया गया और डिजिटल प्लेटफार्म तक पहुंचाया। हाल ही में वडोदरा की वसुंधरा पंड्या को भी मौका दिया गया है। ऐसे ही नवीन और योग्य गायकों को मौका देकर उन्हें एलबम, फ़िल्म, शार्ट फ़िल्म आदि में गायन का मौका दिया जाता है और उनका मार्गदर्शन कर नया रास्ता देने की कोशिश की जाती है।
प्रश्न – दादासाहब फाल्के फाउंडेशन में क्या क्षेत्रीय स्तर के कलाकारों या फिल्मों को स्थान दिया जाता है?
उत्तर – जी, हमने अपने असोसिएशन के तहत क्षेत्रीय ही नहीं पड़ोसी देशों को भी भाग लेने का अवसर दिया है। बांग्लादेश और नेपाल से योग्य लोगों का चुनाव किया है। अलग अलग प्रांतीय क्षेत्रों से भी दो- दो योग्य लोगों का चुनाव भी किया जाता है। जो अलग अलग विभाग से होते हैं जैसे टेक्नीशियन, आर्टिस्ट आदि। इन्हें पुरस्कार के साथ धनराशि भी दिया जाता है और जल्द ही इनके इन्शुरेंस और पेंशन प्लान देने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।
प्रश्न – क्या आप राजनीति में भी प्रवेश करना चाह रहे हैं?
उत्तर – नहीं, राजनीति में मेरी कोई रुचि नहीं है, मैं सर्वधर्म सर्वभाव में विश्वास रखता हूँ। मेरा मुख्य उद्देश्य मानवता के लिए हितकर काम करना है। मैं सभी को मानवतावादी दृष्टि से देखता हूँ ना कि धर्म विशेष जानकर। मैं दहिसर में ओम्कारेश्वर साई मंदिर ट्रस्ट का चैयरमेन हूँ तो वहीं बोरीवली में मस्जिद कमिटी में भी शामिल हूँ।
प्रश्न – युवा लोग जो मायानगरी के चमक को देखकर आते हैं किंतु कहीं खो जाते हैं आप उनके लिए क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर – अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो अपना स्वास्थ्य पर ध्यान दो। स्वस्थ तन है तो स्वस्थ मन होगा। स्वस्थ मन आगे बढ़ने के लिए हौसला और संयम प्रदान करेगा। ऊंचाई पाने के लिए शॉर्टकट नहीं अपनाओ अपने काबिलियत पर भरोसा कर धैर्य के साथ आगे बढ़ोगे तो मंजिल जरूर मिलेगी।

 
  
   


Ashfaque Khopekar Littleknown Facts About Welknown Personality President Of Dadsaheb Phalke Film Foundation
 admin                 
                Oct 16th, 2020                |
                no responses
                admin                 
                Oct 16th, 2020                |
                no responses                  admin                 
                Nov 21st, 2019                |
                no responses
                admin                 
                Nov 21st, 2019                |
                no responses                  admin                 
                Jan 18th, 2020                |
                Comments Off on Actor Kalyanji Jana ka success award show  6th Darshnik Mumbai Press Media Award 2019 and Mr and Miss Icon Darshnik Mumbai 2019
                admin                 
                Jan 18th, 2020                |
                Comments Off on Actor Kalyanji Jana ka success award show  6th Darshnik Mumbai Press Media Award 2019 and Mr and Miss Icon Darshnik Mumbai 2019